2022 में लगने वाला महा कुम्भ मेला 2021 में ही क्यों लग रहा है ?


नमस्कार मित्रों ,
                        मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए  वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....

बहुत से लोगो द्वारा मुझ से यह प्रश्न किया जा रहा था की इस बार हरिद्वार में लगने वाला महा कुम्भ मेला 2022  के बजाए 2021 को ही क्यों लग रहा है ?

अब सर्वप्रथम तो उन लोगों को जिन्हें यह नहीं पता की कुम्भ मेला होता क्या है मैं उन्हें बताना चाहूँगा की आखिर कुम्भ है क्या ?



हमारे धार्मिक धर्म ग्रंथो के अनुसार बताया गया है की जब देवताओं और दानवों के मध्य समुद्र मंथन हुआ तो समुद्र से नाना प्रकार के रत्न सहित हलाहल विष भी निकला जिसका भगवान शंकर ने पान किया देवी देवताओं सहित दानवों की भी प्राण रक्षा की और अंत में  उसी समुद्र की गहराइयों से अमृत का एक कलश भी निकला  असुरों से उस अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहनी अवतार भी ग्रहण किया था  अंत में दानवों को जब यह पता चला की यह भगवान विष्णु की माया है और वह अमृत हमे नहीं देना चाहते तो वह उस पात्र को लेने जिसमे अमृत था देवताओं के पीछे भागे. असुरों ने जब देवताओं से  वह पात्र छीनने का प्रयास किया तो उस पात्र में से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरीं. तभी से प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर इन स्थानों पर कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है.



तो अब जानते हैं की आखिर कब लगता है कुम्भ मेला और क्या होता उस वक़्त गोचर का योग ? 

कुंभ योग के विषय में विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि जब गुरु कुंभ राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब हरिद्वार में कुंभ लगता है। जिसकी अवधि प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल में होती है.  जिसका उदाहरण निम्न प्रकार से है की  1986, में हरिद्वार  में कुम्भ लगा था  उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 1998 में पुन: कुम्भ लगा था , उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 2010 में भी कुम्भ लगा इस आधार पर उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 2022  में भी  अब अगला महाकुंभ मेला लगना चहिए  था परन्तु इस वर्ष   हरिद्वार में 2021 में  महा कुम्भ लगेगा।


आज के विषय में मैं आपको बताऊंगा की आखिर किन कारणों से 2022 को लगने वाला महा कुम्भ मेला (हरिद्वार) में  इस बार 2021 को ही लग रहा है ?

वास्तव में इसके पीछे प्रमुख कारण है ग्रहों के वह योग जिनके कारण हरिद्वार में कुंभ योग बनता है वर्तमान में गोचर में वह योग जल्दी बन रहा है और इसके पीछे प्रमुख कारण हैं मलमास .

                   मलमास के चलते ही इस वर्ष कुंभ योग 1 वर्ष पहले ही बन रहा है यही कारण है कि 2022 के बजाय इस वर्ष कुंभ 2021 में ही आ रहा है


तो अब प्रश्न बनता है कि यह मलमास क्या होता है एवं किस प्रकार से इसके कारण 1 वर्ष पूर्व आ रहा है महाकुंभ योग ?

तो सर्वप्रथम हम यह जानेंगे कि यह मलमास क्या होता है-
                                         वैसे तो साधारणतया एक चांद्र मास में 30 तिथियां होती हैं , पर कभी कभी ये कम भी हो जाती हैं । ऐसा ही वर्ष को लेकर भी होता है । 12 चंद्रमासों का एक वर्ष होता है । (जिन्हें  १२ महीने कहते हैं)  यही वर्ष के 12 माह होते हैं , लेकिन चंद्र वर्ष और सौर वर्ष के दिनों में अंतर होता है । चंद्रमा करीब 354 दिनों में पृथ्वी के 12 चक्कर लगाता है जिसके कारण ही १२ महीने पूरे होते हैं , जबकि सूर्य का चक्कर पृथ्वी 365 दिन , 15 घड़ी , 22 पल व 57 विपलों में पूरा करती है इस प्रकार दोनों में प्रत्येक वर्ष लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है । एक वर्ष में  11, दुसरे वर्ष में  भी लगभग 11 और तीसरे वर्ष भी लगभग 11 अब ध्यान देने की बात यह भी है की यह श्रंखला लगभग में है अर्थात कभी कम कभी ज्यादा होता है इस प्रकार प्रत्येक ३ वर्ष में लगभग ३० दिनों का अर्थात एक महिना का अंतर आजाता है  इसी अंतर को मिटाने के लिए ' मलमास ' ( अधिकमास ) का आयोजन ज्योतिष में मिलता है । इसी को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं ।

अब समझिये कैसे इसके कारण एक वर्ष पूर्व आ रहा है हरिद्वार में महा कुम्भ !

जैसे की मैं उपर्युक्त में भी बता चूका हूँ की 1986, में हरिद्वार  में कुम्भ लगा था  उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 1998 में पुन: कुम्भ लगा था , उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 2010 में भी कुम्भ लगा इस आधार पर उसके ठीक 12 वर्ष के अंतराल में 2022  में भी  अब अगला महाकुंभ मेला लगना चहिए  था परन्तु इस वर्ष   हरिद्वार में 2021 में  महा कुम्भ लगेगा इसके पीछे वजह मलमास इस प्रकार से इसलिए बना क्यों की मलमास के कारण प्रत्येक 3 वर्ष में हमारे पास एक माह बढ़ जाता है उस हिसाब से एक 12 वर्ष {अर्थात एक कुम्भ के बीच } में 4 महीने बढ़ जायेंगे इस आधार दुसरे 12 वर्ष {अर्थात दूसरा कुम्भ के बीच }  बीतने पर पुन: 4 महीने बढ़ जायेंगे इस आधार पर तीसरे 12 वर्ष {अर्थात तीसरा कुम्भ होने पर }  पुन: 4 महीने बढ़ जायेंगे!

इस प्रकार 4 महीने  X 3 बार  = 12 महीने ( एक वर्ष ) हमारे पास बन  इसी अंतर को मिटाने के लिए 12 (वर्ष का कुम्भ ) X 3 बार = 36 (वें वर्ष में आने वाला कुम्भ ) अपने उस वर्ष को अतरिक्त वर्ष होने के कारण एक वर्ष पूर्व ही पूर्ण कर लेता है और प्रत्येक तीसरा महाकुम्भ 36वें वर्ष में ना आकर 35वें वर्ष में आ जाता है

इसी गणना के आधार पर इस वर्ष महाकुंभ का योग हरिद्वार में 36 वें वर्ष में ना होकर 35वें वर्ष पर पड़ रहा है एवं इसीलिए 2022 की जगह 2021 में हरिद्वार में कुंभ मेला किया जाएगा!

इसका एक अभिप्राय यह भी है कि प्रत्येक 36 वें वर्ष में पड़ने वाला कुंभ 1 वर्ष पूर्व ही पड़ता है
उदाहरण हेतु अब जैसे इस वर्ष महाकुम्भ हरिद्वार में २०२१ में मनाया जायेगा तो उसके बाद 

2021+12= 2033{ में कुम्भ लगेगा }
2033+12= 2045{ में कुम्भ लगेगा }
2045+12=2057 { में कुम्भ लगना चहिये परन्तु उपर्युक्त  कारणों के चलते एक वर्ष पूर्व अर्थात 2056 में कुम्भ योग बनेगा   }




 आशा करता हूं आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा यदि इसमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि पाई जाती है तो दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र की ओर से मैं जितेंद्र सकलानी आपसे क्षमा याचना करता हूं एवं यदि आप इस विषय में कुछ और अधिक जानते हैं और हमारे साथ यदि उस जानकारी साझा करना चाहें तो आप e-mail के माध्यम से या कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं हम आपकी उस जानकारी  को अवश्य ही अपने इस जानकारी में आपके नाम सहित जोड़ेंगे

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