पूजा-पाठ में यन्त्रों का विशेष महत्व क्यों हैं
यन्त्र मन्त्रों का ही चित्रात्मक रूप है और देवी - देवता अपने निर्धारित यन्त्रों में स्वयं वास करते हैं । इसलिए मन्त्रों की तरह यन्त्र भी शीघ्र सिद्धिदायक होते हैं । विद्वानों के अनुसार पूजा - स्थल पर देवी - देवताओं के यन्त्रों को स्थापित करके उनकी पूजा - अर्चना करने से श्रेष्ठ फल मिलता है ।
यंत्रमित्याहुरेतस्मिन् देवः प्रीणातिः ।
शरीरमिव जीवस्य दीपस्य स्नेहवत प्रिये ॥
यन्त्र के विषय में इसी प्रकार के भाव भुवनेश्वरीक्रम चण्डिका में भी व्यक्त किए गए हैं । भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि हे पार्वती ! जिस प्रकार प्राणी के लिए शरीर आवश्यक है और दीपक के लिए तेल आवश्यक है . ठीक उसी प्रकार देवताओं के लिए यन्त्र आवश्यक है । यन्त्र वास्तव में सजगता को धारण करने का माध्यम है । यन्त्रों की विभिन्न आकृतियां होती हैं । जैसे त्रिभुज आकार , अधोमुखी त्रिभुजाकार , वर्गाकार , पंचकोणाकार और षट्कोणाकार आदि । यन्त्रों की पूजा - अर्चना और दर्शन करने से भक्त को अभीष्ट की पूर्ति और अपने इष्टदेव की कृपा सहज ही प्राप्त होती है । यन्त्रों को पूजा स्थल में स्थापित करने से पहले उनकी प्राण प्रतिष्ठा करा लेनी आवश्यक है , तभी ये पूर्ण फल देते हैं ।
शास्त्रों में वर्णित कुछ प्रमुख यन्त्रों का विवरण निम्नानुसार है-
श्रीयन्त्र - इस यंत्र के पूजन - अर्चन से लक्ष्मी की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है । और धन का अभाव दूर हो जाता है । इसके दर्शन मात्र से अनेक यज्ञों के पुनीत फलों की प्राप्ति होती है । मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है ।
मंगल यन्त्र - इसकी साधना से रक्तचाप रोग तथा मंगल ग्रह का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है । ऋणमुक्ति में भी यह सहायक है ।
महामृत्युंजय यन्त्र - मारक दशाओं के लगाने से पहले ही इसकी आराधना करने से प्राणघातक दुर्घटना , अभिष्ट ग्रहों का दोष , शत्रु भय और मुकदमेबाजी आदि का निवारण होता है ।
बगलामुखी यन्त्र - यह यन्त्र शत्रुओं का दमन करने , वाद - विवाद या मुकदमे आदि में विजय पाने और कष्ट - बाधाओं को दूर करने में सहायक है ।
सूर्य यन्त्र - भगवान सूर्यदेव की उपासना करने से सभी रोगों का शमन होता है । इससे व्यक्तित्व भी तेजस्वी बनता है ।
कुबेर यन्त्र - इस यन्त्र की साधना और दर्शन से कुबेर की कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है ।
कनकधारा यन्त्र - इस यन्त्र की साधना से निर्धनता दूर होती है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । यह यन्त्र अष्टसिद्धि और नवनिधि प्रदान करने वाला है ।
बीसा यन्त्र - जो श्रद्धालु भक्त अपने पास बीसा यन्त्र रखते हैं , भगवान उनकी हर प्रकार से सहायता करते हैं । इसकी साधना करने वालों के असम्भव प्रतीत होने वाले कार्य भी सहज ही हो जाते हैं । प्रात : काल उठते ही बीसा यन्त्र के दर्शन करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं ।
महालक्ष्मी यन्त्र - इस यन्त्र की अधिष्ठात्री देवी कमला है । इसके दर्शन एवं पूजन से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है ।
पंचादशी यन्त्र - इस यन्त्र की साधना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है । इसके साथ ही सकल पदार्थ भी मिलते हैं ।
आशय यह हुआ की हर पूजा पाठ में यन्त्रो का भी अपना ही महत्व है एवं इसकी पूजन विशेष विधि से विशेष लाभ प्राप्त अवश्य होता है
हमारा ईमेल एड्रेस है:------ www.durgabhawani9634@gmail.com
आशय यह हुआ की हर पूजा पाठ में यन्त्रो का भी अपना ही महत्व है एवं इसकी पूजन विशेष विधि से विशेष लाभ प्राप्त अवश्य होता है
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