शीघ्र रोग मुक्ति के ७ अचूक उपाए
जय भवानी मित्रों , मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर.... प्रिय पाठकों....... स्वास्थ्य ईश्वर की अतुलनीय अनुकंपा है। हम सभी चाहते हैं कि हमारा जीवन निरोगी बना रहे और इसके लिए सभी अपने स्तर पर निरंतर प्रयास भी करते हैं वैसे भी बड़े बुजुर्गों का कहना है पहला सुख निरोगी काया अर्थात शरीर के स्वस्थ्य होने पर ही प्रथम सुख की अनुभूति होती है। शारीरिक सुख से बड़ा दुनिया में कोई सुख नहीं है। क्यूँ की यदि शरीर ही उत्तम नहीं होगा तो व्यक्ति अन्य सुखों का अनुभव कैसे कर सकता है ? ऐसे ही एक अन्य कहावत भी है कि जैसा खाओगे अन्न , वैसा रहेगा मन और जैसा रहेगा मन , वैसा रहेगा तन। अतः स्वस्थ्य शरीर के लिए पौष्टिक भोजन आवश्यक है। परन्तु इन सब के बावजूद भी व्यक्ति कई बार ऐसे रोग से ग्रसित हो जाता है जो चिकित्सकीय परामर्श लेने पर भी ठीक नहीं हो पता है तो ऐसी स्तिथि में उस रोगी के साथ-साथ उस घर के सभी व्यक्ति मान