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जानिए लाफिंग बुद्धा के प्रकार एवं उनसे जुड़े फायदे।

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चीनी पद्धति वाली फेंगशुई में एक्वेरियम और लाफिंग बुद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका है। जहां एक्वेरियम के लिए दिशाओं के साथ यह भी निर्धारित है कि उसमें कितनी मछलियां और कौन-कौन सी मछलियां रखना शुभ है, वहीं किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए घर में किस तरह का लाफिंग बुद्धा रखना चाहिए, इसका भी एक नियम है। मनोकामना पूरी करते हैं लाफिंग बुद्धा सामान्यतौर पर अलग-अलग प्रकार और आकार वाले लाफिंग बुद्धा उपलब्ध हैं। किसी के हाथ में खाद्यान्न है तो कोई मस्तमौला सा दिखाई देता है। आपके लिए कौन सा लाफिंग बुद्धा सही है अर्थात कौन सा लाफिंग बुद्धा किस मनोकामना की पूर्ति करता है, आइए जानते हैं: लाफिंग बुद्धा लाफिंग बुद्धा को घर के मुख्य द्वार के पास रखा जाना चाहिए ताकि घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को वह अवश्य दिखाई पड़े। लाफिंग बुद्धा को ढाई से तीन फुट की ऊंचाई पर किसी मेज या स्टूल पर रखना चाहिए। खुशहाली और समृद्धि अगर आपके घर के मुख्य द्वार पर प्रवेश करते ही कोई कोना है तो लाफिंग बुद्धा को वहीं रखें, लेकिन इन्हें स्थान देते हुए यह ध्यान रखें कि कोई इनसे टकराए ना। घर में खुशहाली और

जानिए पौराणिक ग्रंथ अनुसार कौन है तुलसी ? क्यों नहीं तोड़नी चाहिए रविवार को तुलसी ?

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भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। तो आइए जानते हैं मानव जीवन के लिए वरदान साबित हुई तुलसी की उत्पत्ति कहां से हुई  पौराणिक ग्रंथों के अनुसार :- देवी भागवत पुराण के अनुसार  एक समय एक वृंदा नाम कि कन्या हुआ करती थी जो भगवान महाविष्णु की भक्त थी। वह भगवान विष्णु की पूजा में लीन रहती थी और एक दिन उन्हें गणेश भगवान मिले जो एक सुन्दर बगिया में खुशबूदार पेड़ों के पास ध्यान में मग्न थे। गणेश भगवान ने चमकीला पीला वस्त्र पहना था और उनके पूरे शरीर पर चन्दन का लेप लगा था। गणेश भगवान के इस रूप को देखकर वृंदा उनपर मोहित हो गयी और उनके सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। भगवान गणेश ने कहा कि वह ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं वह सन्यासी हैं और शादी के बारे में तो सोच भी नहीं सकते क्यूंकि इ

जानिए सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व एवं ज्योतिषिय दृष्टिकोण ।

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सूर्य को जल देना पुरानी परम्परा है, परन्तु किसी ने यह जानने का प्रयास किया की क्यूँ दिया जाता है सूर्य को जल? और क्या प्रभाव होता है इससे मानव शरीर पर? पूरी जानकारी के लिए कृपया अंत तक पढ़े, थोडा समय लग सकता है, परन्तु जानकारी महत्वपूर्ण है। सूर्य देव अलग अलग रंग अलग अलग आवर्तियाँ उत्पन्न करते हैं, अंत में इसका उल्लेख करूँगा, मानव शरीर रासायनिक तत्वों का बना है,  रंग एक रासायनिक मिश्रण है। जिस अंग में जिस प्रकार के रंग की अधिकता होती है शरीर का रंग उसी तरह का होता है, जैसे त्वचा का रंग गेहुंआ, केश का रंग काला और नेत्रों के गोलक का रंग सफेद होता है। शरीर में रंग विशेष के घटने-बढने से रोग के लक्षण प्रकट होते हैं, जैसे खून की कमी होना शरीर में लाल रंग की कमी का लक्षण है। सूर्य स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का भण्डार है| मनुष्य सूर्य के जितने अधिक सम्पर्क में रहेगा उतना ही अधिक स्वस्थ रहेगा। जो लोग अपने घर को चारों तरफ से खिडकियों से बन्द करके रखते हैं और सूर्य के प्रकाश को घर में घुसने नहीं देते वे लोग सदा रोगी बने रहते हैं। जहां सूर्य की किरणें पहुंचती हैं, वहां रोग के कीटाणु

सनातन धर्मानुसार सूतक एवं पातक के नियम

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हमारे ऊपर आ रहे कष्टो का एक  कारण सूतक के नियमो का पालन नहीं करना भी हो सकता है। सूतक एवम् पातक का सम्बन्ध “जन्म एवं मृत्यु  के” निम्मित से हुई अशुद्धि से है ! सूतक जन्म के अवसर पर जो ""नाल काटा"" जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्यकार की जो हिंसा होती है, उसमे लगने वाले दोष/पाप के प्रायश्चित स्वरुप “सूतक” माना जाता है ! जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता ३ पीढ़ी तक – १० दिन ४ पीढ़ी तक – १० दिन ५ पीढ़ी तक – ६ दिन ध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती … वहाँ पूरा १० दिन का सूतक माना है ! प्रसूति (नवजात की माँ) को ४५ दिन का सूतक रहता है प्रसूति स्थान १ माह तक अशुद्ध है ! इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं ! अपनी पुत्री 〰〰〰 पीहर में जनै तो हमे ३ दिन का, ससुराल में जन्म दे तो उन्हें १० दिन का सूतक रहता है ! और हमे कोई सूतक नहीं रहता है ! नौकर-चाकर 〰〰〰〰 अपने घर में जन्म दे तो १ दिन का, बाहर दे तो हमे कोई सूतक नहीं ! पालतू पशुओं का 〰〰〰〰〰 घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बक