क्या आप जानते हैं विवाहा कितने प्रकार के होते हैं ? विवाह संस्कार क्यों किया जाता है ?
हिंदू संस्कृति में विवाह कभी न टूटने वाला एक परम पवित्र धार्मिक संस्कार है । यह दो आत्माओं का पवित्र बंधन है , जिसका उद्देश्य मात्र इंद्रियसुख भोग नहीं , बल्कि पुत्रोत्पादन , संतानोत्पादन कर एक परिवार की नींव डालना है । ऋषि श्वेतकेतु का एक संदर्भ वैदिक साहित्य में आया है कि उन्होंने मर्यादा की रक्षा के लिए विवाह प्रणाली की स्थापना की और तभी से कुटुंब व्यवस्था का श्रीगणेश हुआ । आजकल बहुप्रचलित और वेदमंत्रों द्वारा संपन्न होने वाले विवाहों को ब्राह्म विवाह कहते हैं । इस विवाह की धार्मिक महत्ता मनु ने इस प्रकार बताई है दश पूर्वान् परान्वंश्यान् आत्मनं चैकविंशकम् । ब्राह्मीपुत्रः सुकृतकृन् मोचये देनसः पितृन् । अर्थात ब्राह्म विवाह से उत्पन्न पुत्र अपने कुल की 21 पीढ़ियों को पाप मुक्त करता है । अर्थात् 10 अपने आगे की , 10 अपने पीछे की और स्वयं अपनी । भविष्यपुराण में लिखा है कि जो लड़की को अलंकृत कर ब्राह्मविधि से विवाह करते हैं , वे निश्चय ही अपने सात पूर्वजों और सात वंशजों को नरक भोग से बचा लेते हैं । आश्वालायन ने तो यहां तक ल