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जानिए क्या है इस वर्ष 2020 में चैत्र नवरात्रों में घटस्थापन का शुभ मुहूर्त ?

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प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता जगदम्बा के नौ रूपों की उपासना का शुभारम्भ होने जा रहा है। प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नूतन संवत्सर का प्रारंभ होता है और इसी दिन माता के नवरात्रि भी प्रारंभ होते हैं इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू हो रहे हैं। उदयकालीन नवमी तिथि 02 अप्रैल की है। इन नौ दिनों मां के नौ रुपों की पूजा की जाती है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करना अच्छा रहता है। यूं तो साल में दो बार नवरात्र आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग है। परंतु इस वर्ष के नवरात्रे कुछ विशेष हैं इस बार कि नवरात्री में तीन सर्वार्थ सिद्धि, दो गुरु योग और एक गुरु पुष्य योग का संयोग बन रहा है । इस बार अष्टमी तिथि दिनांक 01 अप्रैल 2020 में 27:42 तक रहेगी अर्थात् दिनांक 02 अप्रैल 2020 को प्रात: 03:42 तक उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी इसीलिए इस बार अष्टमी एवम् नवमी का व्रत पूर्ण रूप से अलग अलग रखा जायेगा। दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र के माध्यम से ज्योतिषाचार्य जितेंद्र सकलानी जी द्वारा वाणी भूषण पंचांग के अनुसा

जानिए श्राद्ध पक्ष में पितरों से जुड़ी धारणाएं एवं कुछ विशेष बातें ।

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श्राद्ध पक्ष को लेकर लोगों के मन में आम तौर पर यह धारणा बनी हुई है कि यह अशुभ समय होता है और इस दौरान कोई भी नया काम करने या फिर कोई भी नई चीज खरीदना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा करने से पितृगण नाराज हो जाते हैं। यही वजह है कि इस धारणा के कई व्‍यापार और उद्योग धंधे पितृ पक्ष के दिनों में मंदे पड़ जाते हैं। वहीं शास्‍त्रों में भी इस बात का उल्‍लेख कहीं नहीं मिलता है कि पितृ पक्ष में खरीदारी करने से अशुभ परिणाम प्राप्‍त होते हैं। जानते हैं पितृ पक्ष को लेकर क्‍या हैं मान्‍यताएं और क्‍या कहते हैं विद्वान… 1 अशुभ मानने की वजह कुछ विद्वानों का मानना है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज धरती का रुख करते हैं। ऐसे में हमें उनकी सेवा में और श्राद्ध कर्म में मन लगाना चाहिए। सेवा करने की बजाए यदि हम नई वस्‍तु की ओर ध्‍यान लगाएं तो हमारे पितृ आहत हो सकते हैं। यही वजह है कि पितृ पक्ष में नई वस्‍तु नहीं खरीदी जाती। 2 पितरों का ऋण चुकाने का वक्‍त श्राद्ध पक्ष को पितरों के प्रति समर्पण भाव से देखा जाता है। 16 दिनों की अवधि को पितरों का ऋण चुकाने के नजरिए से देखा जाता है। श्राद्ध करके, तर्पण करके,