प्राणायाम आज के समय में आवश्यक क्यों है ?
प्राणायाम के अभ्यास प्राणायाम अष्टांग योग का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जिसका शाब्दिक अर्थ है - प्राणों का आयाम । महर्षि पतंजलि के मतानुसार - तस्मिन् सति श्वास - प्रश्वासयोर्गतिर्विच्छेदः प्राणायामः अर्थात् श्वास - प्रश्वास की गति का विच्छेद करके प्राणवायु को सीने में भरने , भीतर रोककर रखने और उसे बाहर छोड़ने का नियमन करने की क्रिया को प्राणायाम कहते हैं । शास्त्रकार प्राणायाम की महिमा इस प्रकार लिखते हैं - दह्यन्ते ध्यायमानानां धातूनां हि यथा मलाः । तथेन्द्रियाणां दह्यन्ते दोषाः प्राणस्य निग्रहात् ॥ अर्थात् जैसे अग्नि से तपाए हुए स्वर्ण , रजत आदि धातुओं के मल दूर हो जाते हैं , वैसे ही प्राणायाम के अनुष्ठान से इंद्रियों में आ गए दोष , विकार आदि नष्ट जाते हैं और केवल इंद्रियों के ही नहीं , बल्कि देह , प्राण , मन के विकार भी नष्ट जाते हैं तथा ये सब साधक के वश में हो जाते हैं । योग दर्शन के अनुसार ततः क्षीयते प्रकाशावरणम् -2 / 52 प्राणायाम के अभ्यास से विवेक ( ज्ञान ) रूपी प्रकाश पर पड़ा अज्ञानरूपी आवरण हट जाता है । योगचूड़ामणि में कहा गया है कि प्राणायाम से पाप जल जाते हैं । य