शालिग्राम पूजन क्यों किया जाता है ?


शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाया जाने वाला काले रंग का एक पत्थर है । यह चिकना और अण्डाकार होता है । इस पर शंख , चक्र , गदा अथवा पद्म बने होते हैं । कुछ शालग्राम पत्थर के ऊपर सफेद रंग की चक्राकार धारियां होती है । भगवान विष्णु के रूप में इसकी पूजा की जाती है । 


स्कंदपुराण के कार्तिक माहात्म्य में शालिग्राम के महत्त्व का वर्णन स्वयं शिव ने किया है । प्रत्येक कार्तिक मास की द्वादशी को महिलाएं तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराती हैं और नवीन वस्त्र एवं जनेऊ अर्पित करती हैं । हिन्दू परिवारों में तुलसी और शालिग्राम के विवाह के बाद ही विवाहोत्सव आरम्भ होते हैं ।  ' पुराणों के अनुसार जिस घर शालग्राम न हो , वह घर श्मशान होता है । 



पद्मपुराण में कहा गया है कि जिस घर में शालिग्राम शिला रहती है , वह घर तीर्थी से भी अधिक श्रेष्ठ है । इसके दर्शन मात्र से ब्रह्महत्या दोष का निवारण होता है । पुराणों के अनुसार शालिग्राम की शिला की उपासना से चारों वेदों के पढ़ने और तपस्या का फल मिलता है । जो व्यक्ति नियमित रूप से शालिग्राम शिला का जल से अभिषेक करता है , वह सम्पूर्ण दान के पुण्य और पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल को प्राप्त करता है । इसके जल का नित्य पान करने वाला मोक्ष पाता है । शालिग्राम , तुलसी और शंख को जो व्यक्ति अपने पास सुरक्षित रखता है । भगवान विष्णु उस पर प्रसन्न होते हैं , किंतु जो व्यक्ति शालग्राम पर चढ़े तुलसी पत्र को अलग कर देता है , अगले जन्म में उसे स्त्री का वियोग सहना पड़ता है । 


ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड के इक्कीसवें अध्याय में वर्णन मिलता है कि जहां शालिग्राम की शिला रहती है , वहां भगवान श्रीहरि विराजमान रहते हैं । वहीं पर सम्पूर्ण तीर्थों के साथ विष्णुप्रिया लक्ष्मी भी निवास करती हैं । आकृति के अनुसार शालिग्राम भिन्न - भिन्न प्रकार के होते हैं और विभिन्न प्रकार के फल भी प्रदान करते हैं । 
 

छत्राकार शालिग्राम राज्य देनेवाला , वर्तुलाकार प्रचुर सम्पत्ति देने वाला , विकृत , फटा हुआ , शूल की नोक के समान नुकीला , शकटाकर , भग्न चक्र और पीलापन लिए हुए शालग्राम दुख , दरिद्रता , हानि और व्याधि का कारण बनता है । इसी कारण इस प्रकार के शालग्रामों को घर में रखना दोषपूर्ण माना जाता है । 




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टिप्पणियाँ

  1. मेरे घर में 2शालिग्राम है एक शिवलिंग जो शिव शालिग्राम लिंग ,या नंदेश्वर शिवलिंग है laddu gopal भी है पर पूर्वजों के दौरा अलग स्थान पर उनका सात्विक से अर्चना होती थी pr उस समय भी धन संपत्ति का नाश हुआ अब एक मकान जिसमे भोजन नही बनता है उस में इन सब को रख पूजा जाता है पर कठिनाई और धन का नाश रुकता nhi क्लेश मानसिक अशांति आदि पूरा h अब घर के लोग नानवेज खाते है सभी लोग कृपया शास्त्रीय उपाय बताए

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