जानिए पूजा पाठ से पूर्व संकल्प क्यों कराया जाता है ?
नमस्कार मित्रों ,
मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....
मित्रों आपने बहुत से धर्मिक ग्रंथो को पढते या टेलीकास्ट एपिसोड को देखते हुए सुना होगा की पहले के राजा महाराजा लोग या कोई भी जन सामान्य जब भी किस वस्तु का दान किया करते थे या कोई पूजा पाठ किया करते थे तो उससे पूर्व संकल्प अवश्य करते थे !
तो आज हम इसी विषय पर प्रकाश डालेंगे की आखिर हर कर्म से पूर्व संकल्प का विधान क्यों हैं ? एवं क्या है संकल्प का महत्व
धार्मिक कार्यों को श्रद्धा - भक्ति , विश्वास और तन्मयता के साथ पूर्ण करने का भाव ही संकल्प है । सद्कर्मों का पुण्य फल तभी प्राप्त होता है . जब उन्हें संकल्पपूर्वक किया गया हो ।
इस संदर्भ में मनुस्मृति ( 2 / 3 ) में कहा गया है कि-
संकल्पमूल : कामो वै यज्ञाः संकल्पसंभवाः ।
व्रतानि यज्ञधर्माश्च सर्वे संकल्पजाः स्मृताः ।।
संकल्प के समय जल इसीलिए ग्रहण कराया जाता है , क्योंकि जल में वरुण देव का निवास माना जाता है और जल लेकर संकल्प का पालन न करने वाले को वरुण देव कठोर दण्ड देते हैं ।
वेद वर्णित वाक्य है कि-
आयु वै वरुण तथा अनर्ते खल वै क्रियमाणे वरुणा गृहणाति।
आशय यह हुआ की हर पूजा पाठ या दान का मूल आधार ही संकल्प है !
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जय हो
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