जानिए विवाह में क्या है सप्तपदी का महत्व ?





सात परिक्रमाएं करके सप्तपदी की रस्म पूरी की जाती है । इसके लिए वर - वधू साथ - साथ पहले से बना दी गई चावल की सात ढेरियों को पैर से छूते हुए एक - एक कदम आगे बढ़ाते हैं । रुकते हैं , फिर आगे बढ जाते हैं ।



                  इस प्रकार सात कदम साथ - साथ बढ़ाते समय
 पंडित जी प्रत्येक बार मंत्र का उच्चारण करते हैं । विवाह संस्कार पद्धति के अनुसार इसमें वचन और प्रतिज्ञाओं का स्मरण कराया जाता है कि पति - पत्नी योजनाबद्ध प्रगतिशील जीवन के लिए देव - साक्षी में संकल्पित हो रहे हैं , जिसका लाभ उन दोनों को जीवन भर मिलता रहे ।



पहला कदम : अन्न वृद्धि के लिए उठाया जाता है ।

दूसरा कदम : शारीरिक और मानसिक बल वृद्धि के लिए                            उठाया जाता है ।

तीसरा कदम : धन वृद्धि के लिए उठाया जाता है ।

चौथा कदम : सुख वृद्धि के लिए उठाया जाता है ।

पांचवां कदम : प्रजापालन के लिए उठाया जाता है ।

छठा कदम : ऋतुचर्या के लिए उठाया जाता है ।

सातवां कदम : पत्नी को अनुगामिनी बनाने व मित्रतापूर्ण                            व्यवहार के लिए उठाया जाता है ।


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