जानिए क्यों लिया जाता है संन्यास आश्रम ?
श्रीमद्भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण संन्यासी के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में कहते हैं कि जो मनुष्य कर्म फल की इच्छा न करके करणीय कर्म करता है , वही संन्यासी और योगी है । भारतीय मनीषियों ने जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष बताए हैं । इनमें मोक्ष - प्राप्ति का साधन संन्यास आश्रम ही है ।
मनुस्मृति ( 6 / 33 ) में महाराज मनु ने कहा -
चतुर्थमायुषो भागं त्यक्त्वा संगान्परिव्रजेत् ॥
इस बारे में मनुस्मृति ( 6 / 49 ) में कहा गया है-
अध्यात्मरतिरासीनो निरपेक्षो निरामिषः ।
आत्मनैव सहाय्येन सुखार्थी विचरेविहः ॥
अर्थात् संन्यासी को सदा आत्म चिन्तन में लगे रहना चाहिए । उसे विषय - वासनाओं की इच्छा से रहित निरामिष होकर देह की सहायता से मोक्ष - प्राप्ति का अभिलाषी होकर संसार में विचरण करना चाहिए ।
नारद परिव्राजकोपनिषद् के अनुसार जो व्यक्ति शान्ति , सत्य , सन्तोष , दयालुता , नम्रता , निरहंकारिता और दम्भहीनता आदि से परिपूर्ण हो वही संन्यास आश्रम का अधिकारी है । कर्मों के अनुसार प्राणी को योनि प्राप्त होती है । सभी योनियों में मनुष्य योनि श्रेष्ठ है , किन्तु इस योनि में भी गर्भकाल के नौ मास की यातना और बुरे कर्मो के कारण मृत्यु होने पर प्रेत योनी के कष्ट सहने ही पड़ते हैं । इन सबसे मुक्ति ( मोक्ष ) के लिए ही संन्यास आश्रम का विधान किया गया है । मनुष्य पर देव , पितृ , मातृ आदि तीन ऋण होते हैं ।
मनुस्मृति ( 6 / 35 - 36 ) में इस संदर्भ में कहा गया है
ऋणानि त्रीण्यपाकृत्य मनो मोक्षे निवेशयेत ।
अनपाकृत्य मोक्षं तु सेवमानो व्रजत्यधः ।।
अधीत्य विधिवद्वेदान्पुत्रांश्चोत्पाद्य धर्मतः ।
इष्ट्वा च शक्तितो यज्ञैर्मनो मोक्षे निवेशयेत् ॥
मोक्ष प्रप्ति के लिए हमारे मनीषियों द्वारा की गई संन्यास की व्यवस्था पूर्णतः । विज्ञानसम्मत है ।
आशा करता हूं आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा यदि इसमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि पाई जाती है तो दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र की ओर से मैं जितेंद्र सकलानी आपसे क्षमा याचना करता हूं एवं यदि आप इस विषय में कुछ और अधिक जानते हैं और हमारे साथ यदि उस जानकारी साझा करना चाहें तो आप e-mail के माध्यम से या कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं हम आपकी उस जानकारी को अवश्य ही अपने इस जानकारी में आपके नाम सहित जोड़ेंगे
हमारा ईमेल एड्रेस है:------ www.durgabhawani9634@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपके प्रोसहन हेतु धन्यवाद हम आपकी सेवा में हमेशा तत्पर हैं एवं हमारा पर्यास है की ऐसी ही महत्वपूर्ण एवं शास्त्रों में लिखित सटीक जानकारी हम आप तक पहुंचाएं एवं आप भी हमारे नियमित पाठक बने रहें !