आइये जानते हैं विवाहा में वर - वधू कौन सी प्रतिज्ञाएं लेते हैं और क्यों ?

दुर्गा भवानी ज्योतिष केन्द्र

विवाह की सभी रस्में पूर्ण हो जाने के बाद वर - वधू को अपने कर्तव्य पालन हेतु । संकल्प के रूप में अलग - अलग प्रतिज्ञाएं दिलाई जाती हैं । विवाह संस्कार पद्धति के अनुसार ये सब प्रतिज्ञाएं दांपत्य - जीवन को खुशहाल एवं दीर्घजीवी बनाए रखने के लिए कराई जाती हैं ।

 वर - वधू के लिए वेद में कहा गया है--

 सहनाभवतु सहनौ भुनक्तु सहवीर्यं करवावहै । 
  तेजस्विनावधीतमस्तु     मा      विद्विषावहै । 

अर्थात् हम परस्पर रक्षा करें । साथ भोजन करें । साथ परिश्रम करें । कभी द्वेष व कलह न करें ।



 वधू की प्रतिज्ञाएं

 • मैं अपने पति की सच्चे अर्थों में अर्धागिनी बनकर , नए जीवन को शरु करूंगी । 
 • पति के परिजनों से मधुरता , शिष्टता , उदारता से व्यवहार कर उन्हें प्रसन्न और संतुष्ट रखने में कोई कमी नहीं रखूगी ।
 • परिश्रम से गृहसंचालन कर पति की प्रगति में मदद करूंगी और आलस्य नहीं करूंगी ।
 • पति के प्रति श्रद्धा भाव रख उनके अनुकूल रहंगी और पतिव्रत्य धर्म का पालन करूंगी ।
 • सेवा भावना , मधुर वचन बोलने, प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाऊंगी ।
 • मितव्ययता से अपना घर चलाऊंगी और फिजूलखर्ची से बचूंगी । 
 • पति को परमेश्वर मानकर उनका साथ नहीं छोडूंगी । उनका कभी अपमान नहीं करूंगी ।
 • पति के मतभेदों का एकांत में निराकरण करूंगी ।
 • पति को सेवा और विनय द्वारा सदैव संतुष्ट रखूंगी।
 • पति के मुझसे विमुख होने पैर भी बिना किसी आशा के अपने कर्तव्य का निष्ठा से पालन करूंगी ।



वर की प्रतिज्ञाएं

• मैं अपनी धर्म पत्नी को अर्धांगिनी समझूंगा  और आज से उसका उतना ही ध्यान रखूंगा , जितना अपने शरीर के अंगों का रखूंगा ।
• गृहलक्ष्मी का अधिकार पत्नी को सौंपकर , उससे परामर्श करके ही जीवन की गतिविधियों और कार्यक्रमों को व्यवस्थित करूंगा ।
• पत्नी में यदि कोई दोष होगा भी तो प्रेमपूर्वक उसे सुधारकर आत्मीयता बनाए रखूंगा ।
• पत्नीव्रत का पालन पूरी निष्ठा से करूंगा और परनारी पर बुरी नजर नहीं डालूंगा । न ही उससे संबंध जोडूंगा ।
पत्नी को मित्रवत् रखूंगा और पूरा - पूरा स्नेह दूंगा ।
• अपनी आमदनी पत्नी को सौंपूंगा और गृह - व्यवस्था हेतु खर्च में उसकी सहमति लूंगा । उसकी सुख - सुविधाओं , प्रगति और प्रसन्नता के लिए प्रयत्नशील रहूंगा ।
 किसी के सामने पत्नी को लांछित , तिरस्कृत नहीं करूंगा । मतभेदों और गलतियों का सुधार एकांत में बैठकर करूंगा । 
• पत्नी के प्रति सहिष्णुता व मधुरता का व्यवहार करूंगा । समझौता नीति का पालन करूंगा ।
• पत्नी के बीमार होने , संतान न होने , या जाने - अनजाने किसी गलत व्यवहार पर भी मैं अपने सहयोग और कर्तव्य पालन में कोई कमी नहीं लाऊंगा ।
• पत्नी के व्यक्तित्व विकास में पूर्ण सहयोग दूंगा । और उसके साथ मधुर प्रेमयुक्त चर्चा तथा सद्व्यवहार करूंगा ।


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