जानिए सनातान धर्म में मंगलसूत्र का विशेष महत्व क्यों है ?
नमस्कार मित्रों,
आज हम चर्चा करेंगें एक ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य पर जिसके विषय में बहुत से लोगो ने मुझे इ-मेल्स के माध्यम से कहा की हमारे सनातन धर्मं में बहुत से ऐसे विषय हैं जिन्हें जानने की हमारी अभिलाषा है परन्तु उन्हें कंही भी खोजे जाने पर कोई सटीक या संतुष्टि वाला उत्तर हमे प्राप्त नहीं हो पता तो मुझसे अधिकांश लोगो द्वारा प्रश्न किया गया की हमारे सनातन धर्म से जुडी हुयी महिलाये अपने मंगलसूत्र को बड़ा महत्व देती थी परन्तु आजकल जब से वेस्टर्न कल्चर में बढ़ावा देखने को मिला है वो प्रथा मानो विलुप्त सी हो गयी है तो आखिर ऐसा क्या रहस्य था उस प्रथा में की महिलाएं अपने मंगल सूत्र को इतना महत्व देतीं थीं ?
तो आइये जानते हैं आपके इस प्रश्न का उत्तर-
एक सुहागिन स्त्री के लिए मंगलसूत्र का विशेष महत्त्व है । भले ही अन्य आभूषणों का अधिक महत्त्व न हो । यह सुहाग का प्रतीक होता है । हिन्दू संस्कृति में नारी के लिए मंगलसूत्र एक अनमोल निधि है ।
विवाह के अवसर पर दुल्हे द्वारा दुल्हन को पहनाया जाने वाला मंगलसूत्र कितना महत्त्वपूर्ण है । यह इसी से स्पष्ट हो जाता है कि इसके बिना विवाह की रस्म पूरी नहीं मानी जाती । भले ही सात फेरे पूरे क्यों न ले लिए जाएं । मंगलसूत्र में काले मोती व लॉकेट , मोर होने आवश्यक माने गए हैं । इसके पीछे तक यह है कि लॉकेटयुक्त मंगलसूत्र का लॉकेट सुहागिन का रक्षक , मोर पति के प्रति श्रद्धा का सूचक व काले मोती कुदृष्टि से बचाव के माध्यम हैं । काले मोतियों से शारीरिक ऊर्जा का क्षय नहीं होता । स्वर्ण ऐसी धातु है जो बल व तेज को बढ़ाती है । अतः प्रायः स्त्रियां सोने का मंगलसूत्र ही धारण करती हैं । ऐसा मंगलसूत्र समृद्धि का भी सूचक होता है ।
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि स्त्री मंगलसूत्र को पति के देहान्त के बाद उसके शव को समर्पित कर देती है । इसीलिए एक बार धारण करने के बाद मंगलसूत्र उतारा नहीं जाता । मंगलसूत्र खोना भावी अमंगल का सूचक भी माना जाता है । लेकिन आधुनिक स्त्रियां रात्रि में इसे उतार भी देती हैं ।,
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