जानिए किन-किन राशियों पर पड़ेगा चंद्रग्रहण का कैसा प्रभाव!
भूमण्डलीय खग्रास चंद्रग्रहण
यह चंद्रग्रहण आषाढ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, शुक्रवार, दि०16/17 जुलाई 2019 को खण्डग्रास रूप में भारत में दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार समयानुसार यह ग्रहण 16 जुलाई 2019 को रात्रि 1:37 से रात्रि 4:32 बजे के मध्य दिखाई देगा ।
इस ग्रहण का सूतक दिनांक 16/07/2019 को शाम 4:37 बजे से प्रारम्भ होगा । चन्द्रग्रहण का सुतक ग्रहण के स्पर्श समय से 9 घंटे पहले लगता है ।
ग्रहण के सूतक में बच्चों को, वृद्ध और अस्वस्थ्यजनों को छोड़कर शेष को भोजन - शयन आदि नहीं करना चाहिए ।
ग्रहण स्पर्श - 1:37 बजे रात्रि
ग्रहण मध्य 3:05 बजे रात्रि
ग्रहण मोक्ष - 4:32 बजे रात्रि
( पूर्णकाल - 2 घंटा / 55 मिनट )
ग्रहण फल- यह चंद्रग्रहण आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार दि० 16 जुलाई 2019 उत्तराषाढा नक्षत्र के धनुरातिगत चन्द्रमा में घटित होगा ।
सांसारिक फल
आषाढ़ मास में चंद्र ग्रहण होने से- वर्षा की स्थिति विकट रहती है । कहीं अति वर्षा व कहीं साधारण वर्षा होने से अन्न उत्पादन में कमी होती है । किसी क्षेत्र विशेष में किसी रोग विशेष का प्रकोप बढ़ने का भय , जन - धन हानि होती है । फल उत्पादन में कमी व फलों को बिना पके गिर जाना या पेड़ पर ही नष्ट होने की संभावना रहती है ।
मंगलवार को चन्द्रग्रहण होने से- वस्त्रादि के भावों में तेजी रहेगी । कपास का उत्पादन बढ़ेगा । अच्छे गुणवत्ता वाली सूती वस्त्रों के भाव बढ़ेंगे ।
धनु राशिगत चन्द्रमा में ग्रहण होने से- मध्य भारत में कष्ट , भारवाहक पशुओं को रोग व्याधि , पंजाब आदि राज्यों में विग्रह होगा । व्यापारी व चिकित्सा वर्ग का संघर्षमय समय रहेगा।
मेषादि बारह राशियों के जातकों के लिये चंद्रग्रहण का फल इस प्रकार है -
मेष- धार्मिक रुचि , आध्यात्मिक यात्रा , कार्यों में बाधा , शुभ अवसरों की हानि , बनते कार्यों में बाधा व विलम्ब ।
वृष- दुर्घटना रोगोत्पति , उदररोग , प्रवास , विदेश गमन , दीर्घयात्रा , गुप्त पीड़ा, स्थान परिवर्तन ।
मिथुन - दैनिक जीवन में व्यस्तता , पारिवारिक तनाव , अति परिश्रम दौड़ भाग , जीवनसाथी का कष्ट, मृत्युतुल्य कष्ट ।
कर्क - शत्रु दमन , रोगशान्ति , प्रतिद्वन्दी कमजोर , कार्यों में सफलता , यश प्राप्ति धनलाभ ।
सिंह - बुद्धि में भ्रम , अनिर्णय की स्थिति, तनाव , गलत निर्णय , गलत मार्गदर्शन , संतान को कष्ट , पढ़ाई में बाधा ।
कन्या- शरीर कष्ट , सामाजिक प्रतिष्ठा को चोट , विवाद , अपयश , दुर्घटना , वाहनभय , मातापिता को कष्ट ।
तुला- कार्यो में सफलता , व्यवसायिक लाभ , यश प्राप्ति , धनलाभ , इच्छित कार्यसिद्धि , सुखसाधन प्राप्ति ।
वृश्चिक - पारिवारिक विरोध , धनहानि , आय में बाधा संपत्ति विवाद , पारिवारिक विघटन , वियोग , क्लेश ।
धनु- शरीर कष्ट , उदर रोग , तनाव, दुर्घटना , भ्रम की स्थिति , कार्यों में बाधा , रोगोत्पति , गलत संगति , गलत मार्गदर्शन ।
मकर- स्वास्थ्य पर व्यय , प्रवास , यात्राभ्रमण , परिश्रम की हानि , खर्चा में अधिकता ।
कुम्भ - इच्छित कार्य सफल , धनलाभ , सरकारी पद , मित्रों लाभ , स्वास्थ्य सुखद ।
मीन - सफलता , रुके कार्यों में सिद्धि , यश प्राप्ति , प्रभाव , उच्चपदस्थ लोगों से सम्पर्क , सरकारी लाभ ।
ग्रहण के समय पर क्या करें क्या न करें।
(1) ग्रहण-लगने के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर ग्रहण समाप्त हो जाने के बाद स्नान ध्यान से निवृत्त होकर नया भोजन बनाना चाहिए ।
(2) सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना । यदि गंगा-जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना फलदायी होता है ।
(3) ग्रहण-काल जप, दीक्षा, मंत्र-साधना (विभिन्न देवों के निमित्त) के लिए उत्तम काल है । परंतु इसमें दीक्षा ग्रहण के लिए सूर्य ग्रहण ही मुख्य है चंद्र ग्रहण में मंत्र दीक्षा ना लें इसमें दीक्षा ग्रहण करने पर दरिद्रादी दोष कहा गया है
(4) ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
(5) ग्रहण के समय चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए ग्रहण काल के चंद्रमा के दर्शन करने पर दोष लगता है!
(6) ग्रहण के समय गर्भवती स्त्रियों को किसी भी धारदार हथियार का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(7) ग्रहण काल के समय शयन करने से रोग, मूत्र से दरिद्र, मल से कीट, मैथुन से ग्राम शूकर, उबटन से कुष्ठ, भोजन करने से मनुष्य नरकागामी होता है।
(8) रविवार को सूर्य ग्रहण और सोमवार को चंद्रग्रहण अगर पड़े तो उसे चूड़ामणि ग्रहण कहते हैं स्नान- दान- जप - होम आदि के लिए चूड़ामणि ग्रहण का महत्तम में अन्य सामान्य ग्रहण से करोड़ों गुना अधिक माना जाता है।
यह समस्त जानकारी आपको
दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र
के माध्यम से
ज्योतिषाचार्य जितेंद्र सकलानी जी
द्वारा प्रेषित की गई है।
उपर्युक्त जानकारी शास्त्रानुसार उल्लेखित अभिलेखों के आधार पर ही प्रदर्शित कि गयी हैं यद्यपि इनमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि हो तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं। 🙏
जय भवानी अति उत्तम जानकारी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप लोगों का प्रेम एवं आशीर्वाद इसी प्रकार से प्राप्त होता रहे, 🙏कृपया कर आप अपने सुझाव भी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजा करें कि आप किस बारे में आगे जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं
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