जानिए राहु के रत्न गोमेद की विशेषताएं।
राहु - गोमेद
गुण व लाभः गोमेद कफ व पित्त का नाशक , पाण्डुरोग तथा तपेदिक का नाश करने वाला , विष प्रभाव को कम करने वाला रत्न है । गोमेद के साथ माणिक , मूंगा व पुखराज निषिद्ध हैं ।
परीक्षा व उपरत्नः असली गोमेद को यदि गौमूत्र में 24 घण्टे भिगोकर रखें तो गाय के मूत्र का रंग बदल जाता है । लकड़ी के बुरादे पर घिसने से गोमेद की चमक और बढ़ जाती है । गोमेद का उपरत्न तुर्सावा / ऋतुरत्न है ।
धारण - विधिः धारण - विधि पूर्ववत है , किन्तु इसे शनिवार या बुधवार को , शनि या बुध की होरा में , रिक्तातिथि और हस्त नक्षत्र या शुभ मुहूर्त में राहु के मंत्र जाप ( ॐ भ्रां भ्रीं भौं स: राहवे नम: ) के साथ धारण करना चाहिए । गोमेद 4 या 8 रत्ती भर का पहना जाता है ; वह भी दाहिने हाथ की मध्यमा में ।
कब - कौन पहने - नियमः मिथुन , कुम्भ , वृष या तुला लग्न में या केन्द्र में राह होने पर , राहु की महादशा या अन्तर्दशा में , राहु ग्रह की पीड़ा में , राहु का प्रभाव शुभ ग्रहों पर होने पर , राहु के पांचवें , नवें घर में होने पर गोमेद पहना जाता है ।।
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