देवी देवताओं को पूजा पाठ में नारियल क्यों चढ़ाया जाता है ? /Why are coconut offered to Gods and Goddesses in worship ?
नमस्कार मित्रों ,
मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....
मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....
मित्रों यदि आप कभी कंही किसी भी हिन्दू मंदिर में दर्शन करने गए होंगे तो आपने एक चीज पर जरूर गौर किया होगा की वंहा उस मंदिर में प्रसाद के तौर पर चढाने के लिए नारियल अवश्य ही मिला होगा ! पर क्या हिन्दू मंदिर में उस नारियल चढाने की परम्परा को देख कर आपके मन में भी कभी यह ख्याल आया है की आखिर मंदिरों में देवी देवताओं को पूजा पाठ में नारियल क्यों चढ़ाया जाता है ?
अगर आपके मन में भी आया है यह सवाल तो जवाब लेकर मैं उपस्थित हूँ आइये जानते हैं -
प्रायः सभी देवी - देवताओं को नारियल चढ़ाने की परम्परा है । कलश पूजन में नारियल पर रोली की छींटे देकर कलश मुख पर रखा जाता है । इसे मंगलसूचक , समृद्धिदायी व सम्मान सूचक माना गया है । नारियल भगवान शिव का परमप्रिय फल माना जाता है । इसमें बनी तीन आंखों की आकृति को त्रिनेत्र का प्रतीक माना जाता है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार नारियल की भेंट को मानव बलि के समान ही माना जाता है । वास्तव में इसे मानव के सिर का पर्याय कहा गया है । इसलिए तंत्र में भी नारियल का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है ।
पौराणिक कथाओं में नारियल को कल्पतरु कहा गया है । और ऐसी मान्यता है की नारियल चढाने के बाद और कुछ चढ़ाना अनिवार्य नहीं रह जाता है , यही नहीं नारियल में ब्रह्मा ,विष्णु और महेश का वास भी माना जाता है इसलिए तीनो देवताओं का स्वरुप मान कर भी नारियल को देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य को भी नारियल की ही भांति ऊपर से कठोर व भीतर से नरम होना चाहिए इसी धारणा के अनुसार भी लोग भगवान को नारियल अर्पित करते हैं की है प्रभु बाहर से नारियल के समान कठोर हमारे घमंड को आपके श्री चरणों में समर्पित करते हैं इसलिए पुजारी जी द्वारा नारियल को भगवान के चरणों में तोड़ दिया जाता है और मनुष्य का घमंड टूटने पर जिस प्रकार उस का वह कोमल भाव भगवान के आगे निखर कर आता है उसी प्रकार नारीयल का भी वह कोमल भाग भगवान को अर्पित हो जाता है ।
लोगों की ऐसी मान्यता है कि नारियल वृक्ष के पूजन के बाद जो भी कामना की जाती है , वह अवश्य ही पूर्ण होती है । कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं जहां पूर्णिमा के दिन वरुणदेव का पूजन नारियल समर्पण करके किया जाता है ।
तो यह थे देवी देवताओं को पूजा पाठ में नारियल चाढाए जाने के पीछे के कुछ शास्त्र सम्मत प्रमाण ।
आशा करता हूं आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा यदि इसमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि पाई जाती है तो दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र की ओर से मैं जितेंद्र सकलानी आपसे क्षमा याचना करता हूं एवं यदि आप इस विषय में कुछ और अधिक जानते हैं और हमारे साथ यदि उस जानकारी साझा करना चाहें तो आप e-mail के माध्यम से या कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं हम आपकी उस जानकारी को अवश्य ही अपने इस जानकारी में आपके नाम सहित जोड़ेंगे
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