गायत्री मंत्र की अधिक महिमा क्यों ?

 

 
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सविर्तुवरेण्यं भर्गो 
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् । 

नमस्कार मित्रों ,
                        मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए  वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर.... 

गायत्री मन्त्र को अनादि मन्त्र माना गया है । पुराणों के अनुसार सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी को गायत्री मंत्र आकाशवाणी से प्राप्त हुआ था । सृष्टि सृजन की क्षमता भी उन्हें गायत्री मंत्र की साधना से ही प्राप्त हुई थी ।

ब्रह्माजी ने इसकी व्याख्या में ही चार वेदों की रचना कर दी थी । इसी कारण गायत्री को वेदमाता भी कहा जाता है ।

शास्त्रों में गायत्री के बारे में सर्ववेदानां गायत्री सारमुच्यते आया है । इसका अर्थ है गायत्री सभी वेदों का सार है । 

बृहद्योगी याज्ञवल्क्य स्मृति ( 10 / 10-11 ) में गायत्री मंत्र की श्रेष्ठता के बारे इस प्रकार कहा गया है -

नास्ति गंगासमं तीर्थं न देवः केशवात् परः । 
गायत्र्यास्तु पर जप्यं न भूतो न भविष्यतिः ।।

अर्थात् सृष्टि में गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है श्रीकृष्ण के समान कोई देव नहीं है और गायत्री के समान जप करने योग्य कोई मंत्र नहीं है । 

श्रीमद्भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि-

 गायत्री छन्दसामहम् अर्थात् मन्त्रों में गायत्री मन्त्र मैं ही हूँ । 

देवी भागवत पुराण ( 11/21/5 ) के अनुसार नृसिंह , सूर्य , वराह , तान्त्रिक और वैदिक मन्त्रों का अनुष्ठान गायत्री मन्त्र के जप के बिना निष्फल हो जाता है । 

सावित्री उपाख्यान के श्लोक 14 से 17 में वर्णित है कि यदि दिनभर में गायत्री मन्त्र का केवल एक बार भी जप कर लिया जाए तो पूरे दिन के पाप नष्ट हो जाते हैं । यदि दिन भर में इस मन्त्र को दस बार जप लें तो दिन - रात के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं । यदि सौ बार इस मन्त्र का जप कर लिया जाए तो महीने भर के और यदि एक हजार बार जप कर लिया जाए तो वर्षों के पाप नष्ट हो जाते हैं । एक लाख बार के जप से जीवनभर के , दस लाख बार के जप से अनेक जन्मों के और एक करोड़ जप से समस्त जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं । दस करोड़ गायत्री मंत्र का जप करने से ब्राह्मण की मुक्ति हो जाती है । 

अग्निपुराण ( 215/8 ) के अनुसार गायत्री मंत्र से बढ़कर जपनीय अन्य कोई मन्त्र नहीं है और व्याहति के समान आहुति मन्त्र नहीं है । शास्त्रों के अनुसार गायत्री मन्त्र का विधि - विधान पूर्वक जप करने से शारीरिक , आध्यात्मिक और मानसिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है । मन में स्फूर्ति और आशाओं का संचार होता है । 

संयम , शान्ति , सदाचार , प्रेम , संतोष और विवेकशीलता जैसे गुणों का उदय होता है । इसके अतिरिक्त विद्या , बल , तेज , कीर्ति , आयु , संतान और धनवृद्धि होती है । 

गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर हैं , जो 24 देवताओं और 24 ऋषियों की शक्तियों से सम्पन्न माने गए हैं । गायत्री मन्त्र का उच्चारण करने से देवताओं और ऋषियों से संबद्ध शरीरस्थ नाड़ियों में प्राणशक्ति का स्पंदन होता है । इसके साथ ही सम्पूर्ण शरीर में ऑक्सीजन का संचरण बढ़ जाता है । इससे शरीर के समस्त विकार नष्ट हो जाते गायत्री मंत्र का नित्य जप करने से अकाल मृत्यु का भी निवारण होता है ।

 आशा करता हूं आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा यदि इसमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि पाई जाती है तो दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र की ओर से मैं जितेंद्र सकलानी आपसे क्षमा याचना करता हूं एवं यदि आप इस विषय में कुछ और अधिक जानते हैं और हमारे साथ यदि उस जानकारी साझा करना चाहें तो आप e-mail के माध्यम से या कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं हम आपकी उस जानकारी को अवश्य ही अपने इस जानकारी में आपके नाम सहित जोड़ेंगे

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