गुरु - दीक्षा क्यों ली जाती है ?
नमस्कार मित्रों ,
मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....
मैं जितेन्द्र सकलानी एक बार पुन: प्रस्तुत हुआ हूँ आप लोगो के समक्ष अपने नए ब्लॉग के साथ अपने धर्मग्रंथो पर आधारित कुछ बताये गए वाक्य, अथवा नियमो के विषय में कुछ जानकरी लेकर....
आपने यह तो अवश्य ही सुना होगा कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं हो सकता जीवन में गुरु का होना अत्यंत आवश्यक है जीवन की प्रथम गुरु मां को माना गया है तत्पश्चात जीवन में हर पथ पर जो हमें नया ज्ञान प्रदान करता है वह हमारे गुरु की संज्ञा पाता है गुरु से ज्ञान रूपी दीक्षा ली जाती है इसे गुरु दीक्षा कहा गया है परंतु क्या आपने सोचा है कि गुरु दीक्षा लेना अनिवार्य क्यों है आइए जानते हैं आपके इस प्रश्न का उत्तर इस ब्लॉग के माध्यम से........।
यह ज्ञान गुरु उसी शिष्य को प्रदान करता है जिसमें श्रद्धा का भाव हो । जिसमें श्रद्धा नहीं होती वह इस गुरु - ज्ञान से वंचित रह जाता है ।
गुरु गीता ( 2/131 ) में गुरु - दीक्षा के सम्बन्ध में कहा गया है-
गुरुमंत्रो मुखे यस्य तस्य सिद्धयन्ति नान्यथा ।
दीक्षया सर्वकर्माणि सिद्धयन्ति गुरु पुत्रके ।
अर्थात् जिस व्यक्ति के मुख में गुरु मंत्र है , उसके सभी कार्य सहज ही सिद्ध हो जाते हैं । गुरु - दीक्षा के प्रभाव से शिष्य के सर्वकार्य सिद्ध होते हैं । गुरु - दीक्षा मुख से मन्त्र आदि बोलकर , दृष्टि के द्वारा अन्तर्मन को जगाकर और स्पर्श के द्वारा कुण्डलिनी शक्ति को जाग्रत करके दी जाती है ।
मंत्र द्वारा बोलकर दी गई गुरु - दीक्षा को मान्त्रिक दीक्षा ,
दृष्टि से दी जाने वाली दीक्षा को शांभवी दीक्षा
और
स्पर्श द्वारा दी जाने वाली दीक्षा को स्पर्श दीक्षा कहा जाता है ।
ध्रुव को देवर्षि नारद ने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की दीक्षा दी थी । रत्नाकर को भी आदिकवि वाल्मीकि बनाने का श्रेय मंत्र दीक्षा को ही है । वास्तव में दीक्षा जीवन का अभिन्न अंग है । दीक्षा रहित मनुष्यों को शास्त्रों में पशु के समान कहा गया है । वर्तमान शिक्षा के क्षेत्र में दीक्षांत समारोह का आयोजन भी गुरु दीक्षा का ही अंग है । पूर्वकाल में भी ऐसे समारोह हुआ करते थे ।
आशा करता हूं आपको मेरा यह ब्लॉग पसंद आया होगा यदि इसमें किसी भी प्रकार से कोई त्रुटि पाई जाती है तो दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र की ओर से मैं जितेंद्र सकलानी आपसे क्षमा याचना करता हूं एवं यदि आप इस विषय में कुछ और अधिक जानते हैं और हमारे साथ यदि उस जानकारी साझा करना चाहें तो आप e-mail के माध्यम से या कमेंट बॉक्स में कमेंट के माध्यम से हमे बता सकते हैं हम आपकी उस जानकारी को अवश्य ही अपने इस जानकारी में आपके नाम सहित जोड़ेंगे
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