संस्कारों के भेद
संस्कारों के भेद वर्णन
संस्कार कितने
हैं ? इस संदर्भ में
स्मतिकारों की अलग - अलग राय है । गौतम स्मृति में महर्षि गौतम ने संस्कारों की
संख्या 40 बताई है । यथा - '
चत्वारिंशत्संस्कारे:
संस्कृत: । ' इसके अतिरिक्त कहीं - कहीं संस्कारों की संख्या
48 भी मानी गई है । महर्षि
अंगिरा ने संस्कारों की संख्या 25 बताई है जबकि महर्षि वेदव्यास संस्कारों की संख्या 16 निश्चित की है । ' दस कर्म पद्धति की ' में संस्कारों की संख्या मात्र 10 ही बताई गई है । लेकिन सर्वमान्यता महर्षि
वेदव्यास रचित स्मृति ग्रंथ ( व्यास स्मृति 1 / 13 - 15 ) में वर्णित संस्कारों को ही मिली है ।
यथा-
गर्भाधानं पुंसवन सीमंतो जातकर्म च ।
नामक्रियानिष्क्रमणेऽन्नाशनं वपनक्रिया ।।
कर्णवेधो व्रतादेशो वेदारंभक्रियाविधिः ।
केशांतं स्नानमुद्धाहो विवाहाग्नि परिग्रहः ।।
त्रेताग्नि संग्रहश्चेति संस्काराः षोडश स्मृताः
।।
अर्थात् - गर्भाधान , पुंसवन , सीमंतोन्नयन , जातकर्म , नामकरण , निष्क्रमण , अन्नप्राशन । चूडाकर्म , कर्णवेध , यज्ञोपवीत , वेदारंभ , केशांत , समावर्तन , विवाह , आवसथ्याधान व श्रोताधान ।
मनुस्मृति में 13
संस्कारों का ही वर्णन है
। मनुस्मृति में पुंसवन , सीमंतोन्नयन , कर्णवेध ,
वेदारंभ, आवसथ्याधान व श्रौताधन का वर्णन नहीं है लेकिन
वानप्रस्थ, संन्यास, अंत्येष्टि संस्कारों का समावेश मिलता है ।
आश्वलायन गृह्य
सूत्र में विवाह , गर्भालंयन , पुसंवन , सीमंतोन्नयन , जातकर्म , नामकरण ,
अन्नप्राशन, चूडाकर्म ,
उपनयन . समावर्तन , अंत्येष्टि आदि 11 संस्कारों का वर्णन मिलता है ।
इसी भांति पारस्कर
गृह्यसूत्र में 12 संस्कारों का वर्णन मिलता है । बहरहाल महर्षि व्यास द्वारा कथित
सोलह संस्कार ही सर्वमान्य हैं । कुछ फेरबदल करके ये इस प्रकार हैं - गर्भाधान , पुंसवन ,
सीमंतोन्नयन , जातकर्म ,
नामकरण निष्क्रमण , अन्नप्राशन ,
चूडाकर्म , कर्णवेध ,
उपनयन , वेदारंभ ,
समावर्तन , वानप्रस्थ संन्यास , अंत्येष्टि ।
सोलह संस्कारों
में से प्रत्येक संस्कार का अपना महत्व है । अत : हर किसी को इन । संस्कारों को
अवश्य ही करना चाहिए ।
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