परिधावी संवत्सर


हिंदू मान्यता के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नूतन संवत्सर का प्रारंभ होता है ।
संवत्सरों की संख्या 60 है एवं जिस प्रकार गत वर्ष में विरोधकृत नाम का संवत्सर था उसी प्रकार इस वर्ष परिधावी नाम का संवत्सर है ।



परिधावी का तात्पर्य होता है (दौड़ने वाला)
अर्थात :- इस वर्ष सभी चीजें अपनी गति में होंगी अपने चरम पर होंगी।

तो कैसा होगा इस संवत्सर का फल?
आइए जानते हैं 
दुर्गा भवानी ज्योतिष केंद्र 
के माध्यम से 
ज्योतिषाचार्य जितेंद्र सकलानी जी
 के द्वारा 
वाणीभूषण पंचांग के अनुसार

परिधावी संवत्सर  
परिधावी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में छियालीसवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में अन्न काफ़ी मंहगा होता है, वर्षा मध्यम होती है, प्राकृतिक उपद्रव होते रहते हैं और प्रजा कई प्रकार के रोगों से पीड़ित रहती है। इस संवत्सर का स्वामी इंद्राग्नी को कहा गया है।

परिधावी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु विद्वान, सुशील, कला में कुशल, श्रेष्ठ बुद्धि वाला, राजमान्य, भ्रमणशील प्रवृत्ति वाला और व्यापार में प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला होगा।

ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।

हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।

संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।

क्या आप जानते हैं 60 संवत्सरों के नाम ?

प्रभव · विभव · शुक्ल · प्रमोद · प्रजापति · अंगिरा · श्रीमुख · भाव · युवा · धाता · ईश्वर · बहुधान्य · प्रमाथी · विक्रम · विषु · चित्रभानु · स्वभानु · तारण · पार्थिव · व्यय· सर्वजित् · सर्वधारी · विरोधी · विकृति · खर · नंदन · विजय · जय · मन्मथ · दुर्मुख · हेमलम्ब · विलम्ब · विकारी · शर्वरी· प्लव · शुभकृत् · शोभन · क्रोधी · विश्वावसु· पराभव · प्लवंग · कीलक · सौम्य · साधारण · विरोधकृत् · परिधावी · प्रमादी · आनन्द · राक्षस · नल · पिंगल · काल · सिद्धार्थ · रौद्र · दुर्मति · दुंदुभि · रुधिरोद्गारी· रक्ताक्ष · क्रोधन · क्षय

यह ६० संवत्सरों  उपर्युक्त नाम हैं।


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